कॉमेडी में उभरती नई पौध
यशा माथुर
कोई तीन सौ लोगों की मिमिक्री कर लेता है तो कोई मजाकिया लहजे में तंज कसते हुए फिल्मों का रिव्यू करता है। कोई हालिया मुद्दे पर गाने बनाता है तो कोई चुटकुलों की मार्फत खरी-खरी सुनाता है। स्टैंडअप कॉमेडी में युवाओं का बोलबाला है इन दिनों। टीवी पर पॉपुलर हास्य कलाकारों के इतर स्टैंडअप कॉमेडी की एक ऐसी नई पौध उभर कर सामने आ रही है जिसे सच कहने से कोई डर नहीं। हिंदी हो या अंग्रेजी, इनके चुटकुले तीखा प्रहार करते हैं। असलियत को बेबाक अंदाज में पेश करते इन युवाओं का पैशन है लोगों को हंसाना ...
कन्नन गिल, बिस्वा कल्याण रथ, वरुण ठाकुर, कैने सेबेस्टियन, तन्मय भट्ट, जैमी लीवर जैसे कई नाम हैं जो कॉमेडी में अपने पैशन को अंजाम दे रहे हैं। ये सोलो कॉमेडी करते हैं और ग्रुप भी। इनका स्टार्टअप ही कॉमेडी है। इनमें इंजीनियर भी हैं और मार्केटिंग विशेषज्ञ लेकिन कॉमेडी का पैशन इन्हें स्टेज पर ले आया। ये राइटर हैं, एक्टर हैं और एंकर भी। यहां तक कि इनमें से कई बॉलीवुड से भी जुड़ चुके हैं। इन कॉमिक कलाकारों के फॉलोअर्स लाखों की संख्या में है। इनका नाम लेते ही जुट जाती है युवाओं की फौज, इनके जोक्स सुनने और एक विशेष प्रकार के मनोरंजन का रंग देखने।
ग्रुप में डेमोक्रेसी
कॉमेडी की उगती यह नई पौध कहीं अकेले परफॉर्म कर रही है तो कहीं ग्रुप में। पांच से ज्यादा युवा हास्य कलाकार एक साथ स्टेज या वीडियो में नजर आ जाते हैं। लेकिन खुशी की बात यह है कि इनमें सामंजस्य गजब है। यह सभी ग्रुप में डेमोक्रेसी की बात करते हैं।
एसएनजी कॉमेडी ग्रुप के वरुण ठाकुर बताते हैं, 'हममें ईगो नहीं है। हम कंस्ट्रेक्टिवली झगड़ते हैं। अगर मुझे कोई आइडिया पसंद नहीं आता तो दस कारण बताता हूं। फिर ग्रुप में फैसला लेते हैं। फुल डेमोक्रसी है हमारे ग्रुप में। हर एक को अपने आइडिया के लिए लडऩे का हक है।' इसी प्रकार एआईबी के तन्मय भट्ट कहते हैं, 'डेमोक्रसी बहुत जरूरी है। इससे ही ग्रुप की सक्सेस है। प्रोडक्ट भी सफर नहीं करता। जब भी हमने कोई वीडियो बनाया है तो उसमें सभी की एकराय रही है।' इसी ग्रुप के रोहन जोशी कहते हैं, 'एक अच्छा राइटर्स ग्रुप वही होता है जहां लोग डरते नहीं हैं एक दूसरे से। अगर मैं एक बुरा आइडिया दूंगा तो यह सब मुझे बोल देंगे कि यह बहुत खराब आइडिया है। हमें हर आइडिया के लिए लडऩा पड़ता है। उसका लॉजिक बताना पड़ता है। हम जोक के नौकर हैं। हमारे पर्सनल ईगो की बात नहीं है। जोक बेस्ट होना चाहिए बस।' इस नई पौध में हर कोई राइटर है और अपने चुटकुले खुद लिखता है।
यू-ट्यूब से निकली पौध
आज के युवा डिजिटल क्रिएटर हैं। अपनी क्रिएटिविटी के कंटेंट को ऑनलाइन डालकर ढेरों प्रशंसा बटोरते हैं। हर कला को दर्शक दिलाने में और हर कलाकार को मशहूर बनाने में यू-ट्यूब का योगदान बहुत है। कॉमेडी में भी नए युग का उदय यू-ट्यूब की मार्फत ही हुआ है। इन सभी युवा कॉमेडियंस ने भी यू-ट्यूब पर अपने चैनल बनाए हैं और वीडियो पोस्ट कर ढेर सारे दर्शक बटोरे हैं। इनके बढ़ते सब्स्क्राइबर्स और इनके वीडियोज पर लाखों व्यूज ने इन्हें स्टार बना दिया है। आज ये न केवल लाइव शोज कर रहे हैं बल्कि बॉलीवुड की तरफ भी बढ़ गए हैं। बंगलुरु के स्टैंडअप कॉमेडियन कैने सेबेस्टियन कहते हैं, 'यू-ट्यूब एक डेमोक्रेटिक प्लेटफॉर्म है। जिस पर हर कोई अपनी क्रिएटिविटी अपलोड कर सकता है। तीन साल से थियेटर किया था। फिल्में भी की। थियेटर में कॉमेडी की। कॉलेज के बाद स्टैंडअप कॉमेडी करने का फुल टाइम फैसला ले लिया। आठ साल हो गए। कॉमेडी का पैशन है। लोगों को हंसाने में बहुत मजा आता है। कई लाख लोग मुझे फॉलो करते हैं। करीब 15 मिलियन के करीब व्यूज हैं। अब फिल्म लिखना है मुझे। दसवीं कक्षा से फिल्मेकर बनने का सपना है और उम्मीद है कि यह पूरा होकर रहेगा।' कन्नन गिल भी कहते हैं कि यूट्यूब से प्लेटफॉर्म और एक्सपोजर मिला। लोगों को अपने जोक्स दिखाने का मौका मिला।
नोटबंदी ने दिया मसाला
आठ नवंबर को जब नोटबंदी का ऐलान हुआ तो देश के युवा स्टैंडअप कॉमेडियंस को भारी मसाला मिल गया। बस वे जुट गए हास्य गढऩे में। उन दिनों जयविजय सचान का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी, केजरीवाल, सलमान खान, संजय दत्त और इरफान खान जैसी हस्तियों की मिमिक्री की थी। जयविजय करीब 350 लोगों की मिमिक्री कर सकते हैं जिसमें अमिताभ बच्चन, आमिर खान, शाहरुख के नाम भी शामिल है। 40 मिनट तक अपने दम पर स्टैंडअप कॉमेडी कर सकने वाले जयविजय यूपी के हमीरपुर के रहने वाले हैं और न्यूज एंकर से हास्य की दुनिया में आए हैं। इंडिया गॉट टैलेंट से उनकी कॉमेडी को पहचान मिली।
नोटबंदी पर वरुण ग्रोवर की स्टैंडअप कॉमेडी भी काफी चर्चा में रही। नोटबंदी के दिनों की याद में सबसे ज्यादा मजेदार रहा 'ईस्ट इंडिया कॉमेडी' के स्टैंडअप कॉमेडियंस अतुल खत्री, अंगद सिंह रान्याल, अजीम बनातवाला, सपन वर्मा, साहिल शाह, कुणाल राव और सोराभ पंत का नोटबंदी का गाना, जो 'मेड इन इंडिया' की तर्ज पर था। इसमें व्यंग्य का पुट धारदार था। इसे पचास लाख से भी ज्यादा लोगों ने देखा।
कंट्रोवर्सी का प्लान नहीं करते
कॉमेडी की इस ताजा जमात को किसी का भी भय नहीं है। क्रिएटिविटी के नाम पर कई बार यह ऐसा कंटेंट ऑनलाइन डाल देते हैं कि कोहराम मच जाता है। इन पर आरोप लगता है कि यह सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए सेंसर्ड शब्दों का प्रयोग करते हैं या विवाद पैदा करते हैं।
विवादों में एआईबी का नाम सबसे आगे है लेकिन एआईबी के फाउंडर तन्मय भट्ट कहते हैं कि विवाद पैदा करने की हमारी कोई योजना नहीं होती। वे बताते हैं, 'हमारी ब्रांडिंग मुंहफट की है। प्रशंसक हमें कहते हैं कि तुम लगे रहो। हम तुम्हारे साथ हैं। कंट्रोवर्सी के बाद बस हमारे फॉलोअर्स बड़े है। लोग हमें पहचानते पहले से ही थे। हम कंट्रोवर्सी प्लान नहीं की। बल्कि कंट्रोवर्सी के बाद हम ज्यादा मेच्योर होते हैं।' एसएनजी के वरुण ठाकुर भी कहते हैं, 'एआईबी काफी सफल है। उनकी राइटिंग क्वालिटी अच्छी है। वो उनसे छीनी नहीं जा सकती। उनकी हर लाइन में जोक है जो आसानी से नहीं आता। कंट्रोवर्सी तो बाइप्रोडक्ट है। उससे कुछ फॉलोअर्स बढ़ जाते हैं। विवाद से नहीं बल्कि अच्छा लिखने और प्रदर्शन करने से वे सफल हैं।'
बॉक्स
लड़कियां हैं कम
कॉमेडी को प्रोफेशन के रूप में अपना रहे हैं युवा लेकिन इसमें लड़कियों की तादाद काफी कम है। मशहूर महिला हास्य कलाकार वासु प्रिमलानी कहती हैं, 'हमारे शोज देर रात तक चलते हैं और शुरू शुरू में तो हमें पब व रेस्टोरेंट्स में भी शो करना पड़ता है। मानसिकता यह है कि लड़कियां भला हमें क्या हंसाएगी? लोग फीमेल कॉमेडियन को बुलाने से पहले सोचते हैं। शायद इसलिए ही लड़कियां कम है।' जॉनी लीवर की बेटी जैमी लीवर भी कहती हैं, 'कॉमेडी में लड़कियां कम हैं जबकि लड़कियों के पास फनी चीजें ज्यादा होती हैं।'
बाइट्स
कॉमेडी के कीटाणु है मुझमें
बचपन में पापा ने कभी भी कॉमेडी के लिए प्रेरित नहीं किया। उनका पूरा फोकस पढ़ाई पर था। लेकिन पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता था। लंदन से मार्केटिंग की डिग्री करने के बाद ऑफिस जॉब में सहज नहीं थी। लगता था कि यह मेरे लिए नहीं है। मैं अपने फनी ऑब्जर्वेशंस पर जोक बनाती रहती। मैंने महसूस किया कि मुझे स्टेज पर ज्यादा खुशी मिलती है। जब पैरेंट्स को बताया कि मुझे कॉमेडी करनी है तो वे हैरान हुए लेकिन उन्हें लगा कि यह बात मेरे मन से आ रही है और उन्होंने मेरी तड़प देख कर मुझे रोका नहीं। 2012 में पाप जॉनी लीवर ने लंदन में अपने शो में दस मिनट का समय दिया तो दर्शकों ने मेरे काम को काफी सराहा तब उन्हें लगा कि मुझमें कॉमेडी के कीटाणु है और मेरी कॉमेडी की यात्रा शुरू हो गई। स्टेज पर जाने से पहले उन्हें मैंने अपना परफॉर्मेंस दिखाया। एक तरह से मेरा ऑडीशन हुआ। वे बहुत स्ट्रिक्ट हैं मैंने छोटे-मोटे कॉमेडी क्लब्स में काम किया। शोज आने लगे। फिर मैं कॉमेडी सर्कस के ऑडीशन में गई। मैंने अपने बल पर अवसर ढूंढ़े। मैं कॉमेडी के लिए ही बनी हूं। मैं कॉमेडियन के रूप में ही फिल्म में एक्टिंग की। मैं एंकरिंग भी कर रही हूं उसमें भी फनी एलीमेंट रहेगा।
जैमी लीवर
कॉमेडियन
मस्ती से करते हैं काम
हमारी एसएनजी कॉमेडी है। मैंने और करण तलवार ने यह कंपनी बनाई थी। इसमें छह लोग है। हमें स्पॉट्स करने थे, कॉमेडी करनी थी। लेकिन बहुत जल्दी हमने महसूस किया कि हमें कोई स्पॉट्स देने वाला नहीं था। इसलिए हमने ग्रुप बनाया और हमारे इवेंट्स में कई कॉमेडियंस ने परफॉर्म किया है। लाखों सबस्क्राइबर्स हैं हमारे। हम सभी दोस्त हैं। हम मस्ती करते हुए काम करते रहते हैं। हर वीडियो, हर दर्शक से हम सीखते हैं। अभी तक मुझे लगता है कि मुझे बहुत कुछ सीखना हैं। हम छह लोग हैं सभी लिखते हैं।
वरुण ठाकुर
स्टैंडअप कॉमेडियन
दर्शक हमारे विचार जानना चाहते हैं
मैं रोहन, खंबा और आशीष राइटर हैं। हमने टीवी के लिए काफी कुछ लिखा है। हमने फिल्मफेयर अवार्ड की स्क्रिप्ट भी लिखी है। जब वीर दास ने मुंबई में स्टैंडअप कॉमेडी शुरू की और प्रतियोगिताएं कीं तो हम कॉम्पिटिशन जीत गए। तब हम कॉमेडी करते आए हैं। मैं अट्ठारह साल की उम्र से लिख रहा हूं। लोग रात को सोते समय, कॉलेज जाते समय फोन की छोटी स्क्रीन पर देखते हैं। हम कहीं भी जाते हैं तो लोग पहचान जाते हैं। हर मुद्दे पर दर्शक हमारे विचार जानना चाहते हैं। प्रेशर भी रहता है। लेकिन अभी तो हमें काफी कुछ एक्सप्लोर करना है।
तन्मय भट्ट
स्टैंडअप कॉमेडियन
कॉमेडी के लिए सॉफ्टवेयर से
तोड़ा नाता
एक साल मैंने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की। एक दिन जब मैं काम से घर लौट रहा था तो मैंने ओपन नाइट का आयोजन देखा। खुद को रजिस्टर किया तो पांच मिनट के लिए एक्ट करने का मौका मिला। वहां मैंने पांच मिनट में जो जोक्स बोले उनका रेस्पांस बहुत अच्छा मिला। फिर मैं प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगा। एक दो जीती भी। जब तक मुझे लग रहा था कि कॉमेडी मेरी हॉबी है और मजे के लिए कर रहा हूं तब तक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग चलती रही। लेकिन जब मुझे लगा कि कॉमेडी मेरे सॉफ्टवेयर प्रोफेशन के साथ इंटरफेयर करने लगी है तब मैंने सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़ दी। अब मेरे पास दिन के वे बारह घंटे थे जब मैं सॉफ्टवेयर बनाता था। मैंने वीडियो बना कर यू-ट्यूब पर डालने शुरू कर दिया। थोड़ा टाइम लगा लेकिन लोग देखने लगे और सराहना मिलने लगी। इसके बाद लाइव शोज आने लगे। हम कंटेंट लिखते हैं और डालते हैं। मैं बिस्वा कल्याण रथ के साथ कॉमेडी करता हूं। वह भी आईआई टी से हैं। हमारी सोच एक है कोई विवाद नहीं होता। फिल्में लिखनी हैं, बनानी है। बचपन से लिखने का शौक है। ब्लॉग लिखता था जब कॉलेज में था। अब तो बॉलीवुड में एक्टिंग भी कर रहा हूं।
कन्नन गिल
एक्टर, कॉमेडियन
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