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हर खाना एक कहानी कहता है - शेफ अजय चोपड़ा  यशा माथुर  लंदन से इंटरनेशनल रेस्टोरेंट ट्रेंड्स जानकर भारत आए सेलेब्रिटी शेफ अजय चोपड़ा नई सामग्री और नए फ्लेवर्स के साथ लगातार प्रयोग करते रहते हैं। इन दिनों वे उत्तर भारत के उन जायकों को ढूंढ़ रहे हैं जिनका चलन कम होता जा रहा है। सरलता से घर में बन सकने वाले इन स्वादिष्ट खानों को लेकर वे छोटे पर्दे पर भी नजर आ रहे हैं। हर डिश के साथ जुड़ी कहानी सुनाते हैं वे और पैशन व प्यार के साथ खाना बनाने की सलाह देते हैंं वे ... कोई तो है कहानी हमारे खाने की खूबसूरती यह है कि हर खाना कहीं न हीं किसी कहानी से जुड़ा है। जैसे कोई रेसिपी मां की होगी, तो कोई विशेष अवसर पर बनती है या उसका कोई खास महत्व होगा। जैसे एक कश्मीरी बिस्किट हमने बनाया जिसका नाम है उसका नाम है रोथ, वो एक कश्मीरी पर्व पुनद्युन पर बनाया जाता है, या नए घर में प्रवेश पर बनाया जाता है। हम जो भी रेसिपीज इस कार्यक्रम में लाए हैं उनके साथ कोई कहानी जरूर है। जैसे पंजाबी खाने को सब जानते हैं लेकिन पटियाला के रॉयल फूड को शायद कम लोग जानते हैं। पटियाला के राजा खाने के बड़े शौकीन थे। वे
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 # METOO # मी टू, # हिम्मत, # खुलासा यशा माथुर 'हैशटैग मी टू' सोशल मीडिया पर हाल में चला और लोकप्रिय हुआ वह कैंपेन है, जिसने महिलाओं को अपने जीवन के स्याह पल साझा करने का मंच दे दिया है। वे अपने साथ हुए यौन शोषण के मामले सामने लेकर आ रही हैं। खुलकर बता रही हैं कि कैसे किसी रिश्तेदार, शिक्षक या दोस्त ने उनके साथ खिलवाड़ किया और उनके विश्वास, आत्मविश्वास और अस्मिता को चोट पहुंचाई। इस कैंपेन को मिली प्रतिक्रिया बताती है कि किस कदर दर्द छुपा था महिलाओं के दिल में जो अब बहकर निकल रहा है। किस कदर हिम्मत थी उनकी कि उन्होंने इन क्षणों को हैंडल किया और इन्हें कड़वा अनुभव मान कर खुद को आगे बढ़ाने का साहस जुटाया। आज वे एकजुट हैं और आवाज उठा रही हैं समाज में गहराई तक पैठ गई इस समस्या के विरुद्ध ... उसके घर के पास एक टीचर रहता था। पचास का उम्र पार कर चुका था। एक दिन वह अपने स्कूल के बच्चों की कॉपियां चेक कर रहा था कि पड़ोस में रहने वाली बारह साल की लड़की ने पूछा कि अंकल आप क्या कर रहे हैं? तो उसने कहा बेटा तुम भी कॉपी चेक करो। बच्चों को नंबर दो। बच्ची को लाल पेन से गोले बना
समय की नब्ज को पहचाना है आज के सिनेमा ने  फिल्मी कहानियों  ने बदली है करवट यशा माथुर खूबसूरत वादियों में रोमांटिक गाना गाते, स्विट्जरलैंड में एक-दूसरे पर बर्फ फेंकते हीरो-हीरोइन, बचपन में बिछुड़े और फिल्म के आखिर में मिलते भाई, विलेन से बदला लेते हीरो अब फिल्मों से गायब हो गए हैं। अब एक नया सिनेमा गढ़ा जा रहा है जिसमें हीरो अपनी पत्नी को टॉयलेट उपलब्ध कराने के लिए समाज से लड़ रहा है, हीरोइन अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने के लिए स्वतंत्र है। लिंग समानता की बात हो रही है। समाज में अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही है। छोटी जगहों के विषय प्रमुख बन कर सिनेमा में उभर रहे हैं। यह नया सिनेमा वैविध्यता से परिपूर्ण है और बॉलीवुड की हस्तियां मान रही हैं कि हमारे एक्टिंग करने का समय तो अब आया है ... समय की नब्ज को पहचाना है आज के सिनेमा ने। वे कहानियां पर्दे पर आ रही हैं जिनमें जीवतंता है, विविधता है। विषय ऐसे जो आम आदमी के दिल को छू कर निकल जाते हैं। आज के सिनेकारों को विश्व सिनेमा का एक्सपोजर है। वे उसे गढऩे के लिए नए प्रयोग करते हैं। ट्रीटमेंट को लेकर खास तौर पर सतर्क रहते हैं।
' महिला ' शब्द से ही मिले आजादी   यशा माथुर महिला   डायरेक्टर ने बनाई है यह फिल्म।   महिला   खिलाड़ी खेल रही हैं शानदार। महिला   आर्किटेक्ट कर रही हैं अद्वितीय काम।   महिला   वैज्ञानिकों ने फहराया परचम। आखिर क्यों कॉम्पिटेंट पेशेवर   महिला ओं के काम के आगे ' महिला ' लगा कर उनको डिग्रेड किया जाता है? यही कहती हैं आज की पेशेवर   महिला एं। वे कहती हैं हम उसी स्तर का काम करते हैं, पुरुषों के बराबर या उनसे ज्यादा मेहनत कर अपने काम को अंजाम देते हैं। धूप में खड़े रहते हैं, दम, खम और दिमाग लगाते हैं फिर हमें अव्वल दर्जे का पेशेवर क्यों नहीं समझा जाता है? क्यों नहीं मिलती हमें आजादी ' महिला ' शब्द से? महिला एं अगर कुछ भी अलग करना चाहती हैं तो वे खुद के दम पर खड़ी होती हैं। जो भी चुनौतियां उन्हें महसूस होती हैं वे उसका सामना करती हैं और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत सफलता हासिल करती हैं। ऐसे में उनके काम और पेशे के आगे ' महिला ' लगा देना क्या उन्हें कम साबित करना नहीं है? आज जबकि महिला ओं ने चुनौतीपूर्ण पेशों में खुद को साबित कर दिया है फिर भी उनका महिला
 महिला बॉडीबिल्डर्स पर विशेष  दम है इन बाजुओं में  यशा माथुर  टोंड बॉडी, परफेक्ट कर्व्स और कमाल की फिटनेस। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाब हो रही हैं महिला बॉडीबिल्डर्स। इनके जुनून ने पुरुष प्रतिनिधित्व वाले इस खेल में भी पहचान बना ली है। इसके लिए इन्हें कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ी है। मसल्स मजबूत करने के लिए तय डाइट को अपने जीवन का हिस्सा बनाना पड़ा है। और तो और अपनी बॉडी को दिखाने वाले इस खेल के लिए इन्हें अपने परिजनों और समाज का भी विरोध झेलना पड़ा है लेकिन मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार होकर उतरीं फील्ड में और साबित किया अपना दमखम ... हम मजबूत हैं, कड़ी मेहनत करने का माद्दा रखते हैं। कोई कठिनाई हमें लक्ष्य से डिगा नहींं सकती। ऐसा मानना है उन महिला बॉडीबिल्डर्स का जो चर्चा का विषय बनी हैं। समाज की सोच से अलग जाने और अपनी अलग पहचान बनाने की शक्ति उन्हें खुद के भीतर से ही मिली है। हैट्रिक लगा दी, इतिहास रचा श्वेता राठौर भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने मिस वर्ल्ड फिटनेस फिजिक 2014 का खिताब जीता। वे पहली महिला है जिन्होंने मिस एशिया फिटनेस फिजिक 2015 का ताज हासिल किया और फिर मि
कॉमेडी में उभरती नई पौध यशा माथुर कोई तीन सौ लोगों की मिमिक्री कर लेता है तो कोई मजाकिया लहजे में तंज कसते हुए फिल्मों का रिव्यू करता है। कोई हालिया मुद्दे पर गाने बनाता है तो कोई चुटकुलों की मार्फत खरी-खरी सुनाता है। स्टैंडअप कॉमेडी में युवाओं का बोलबाला है इन दिनों। टीवी पर पॉपुलर हास्य कलाकारों के इतर स्टैंडअप कॉमेडी की एक ऐसी नई पौध उभर कर सामने आ रही है जिसे सच कहने से कोई डर नहीं। हिंदी हो या अंग्रेजी, इनके चुटकुले तीखा प्रहार करते हैं। असलियत को बेबाक अंदाज में पेश करते इन युवाओं का पैशन है लोगों को हंसाना ... कन्नन गिल, बिस्वा कल्याण रथ, वरुण ठाकुर, कैने सेबेस्टियन, तन्मय भट्ट, जैमी लीवर जैसे कई नाम हैं जो कॉमेडी में अपने पैशन को अंजाम दे रहे हैं। ये सोलो कॉमेडी करते हैं और ग्रुप भी। इनका स्टार्टअप ही कॉमेडी है। इनमें इंजीनियर भी हैं और मार्केटिंग विशेषज्ञ लेकिन कॉमेडी का पैशन इन्हें स्टेज पर ले आया। ये राइटर हैं, एक्टर हैं और एंकर भी। यहां तक कि इनमें से कई बॉलीवुड से भी जुड़ चुके हैं। इन कॉमिक कलाकारों के फॉलोअर्स लाखों की संख्या में है। इनका नाम लेते ही जुट जा