महिला बॉडीबिल्डर्स पर विशेष
दम है इन बाजुओं में
यशा माथुर
टोंड बॉडी, परफेक्ट कर्व्स और कमाल की फिटनेस। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाब हो रही हैं महिला बॉडीबिल्डर्स। इनके जुनून ने पुरुष प्रतिनिधित्व वाले इस खेल में भी पहचान बना ली है। इसके लिए इन्हें कड़ी ट्रेनिंग करनी पड़ी है। मसल्स मजबूत करने के लिए तय डाइट को अपने जीवन का हिस्सा बनाना पड़ा है। और तो और अपनी बॉडी को दिखाने वाले इस खेल के लिए इन्हें अपने परिजनों और समाज का भी विरोध झेलना पड़ा है लेकिन मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार होकर उतरीं फील्ड में और साबित किया अपना दमखम ...
हम मजबूत हैं, कड़ी मेहनत करने का माद्दा रखते हैं। कोई कठिनाई हमें लक्ष्य से डिगा नहींं सकती। ऐसा मानना है उन महिला बॉडीबिल्डर्स का जो चर्चा का विषय बनी हैं। समाज की सोच से अलग जाने और अपनी अलग पहचान बनाने की शक्ति उन्हें खुद के भीतर से ही मिली है।
हैट्रिक लगा दी, इतिहास रचा
श्वेता राठौर भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने मिस वर्ल्ड फिटनेस फिजिक 2014 का खिताब जीता। वे पहली महिला है जिन्होंने मिस एशिया फिटनेस फिजिक 2015 का ताज हासिल किया और फिर मिस इंडिया फिटनेस फिजिक 2015, 2016 और 2017 की जीत हासिल कर हैट्रिक लगा दी और इतिहास रचा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग करने वाली श्वेता फाउंडर है 'फिटनेस फॉरएवर अकादमी' की। उनकी इस अकादमी में नए एथलीट्स को नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। श्वेता ने जो सीखा है वह सिखाती हैं ताकि भारत को ज्यादा मेडल दिलवा सकें। कहती हैं श्वेता, 'जब मैं स्कूल में थी तो बहुत मोटी थी और बच्चे मोटी-मोटी कह कर पुकारते थे। मुझे काफी हीन भावना भर गई थी। मेरा विश्वास हिल गया। इसी के चलते मैंने वर्कआउट और एक्सरसाइज शुरू की बचपन में। इस प्रोफेशन में आने के बाद सेलेब्रिटी स्टेटस मिला है। निजी और पेशेवर जिंदगी बहुत अनुशासित हो गई है। लोगों की नजर में बहुत आदर है। मैं कहीं भी जाती हूं तो बहुत इज्जत मिलती है। मेरी बड़ी फैन फॉलोईग है। पैरेंट्स को जब लोग कहते हैं कि आपकी बेटी ने देश का नाम रोशन किया है तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगता है।'
फाइटर का जज्बा
बिकनी एथलीट है करिश्मा शर्मा। 2009 में रनिंग से खेल में आईं और लंबी दूरी की दौड़, जैसे मैराथन में हिस्सा लेती थी। दिल्ली में एक छोटी प्रतियोगिता में भाग लिया तो बेस्ट फिट बॉडी का पुरस्कार मिला और ऑनलाइन कोचिंग लेकर बॉडीबिल्डिंग को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। करिश्मा मार्केटिंग की फुलटाइम जॉब में हैं लेकिन बॉडीबिल्डिंग का पैशन दिमाग पर चढ़ा तो वैसा ही लाइफस्टाइल बना लिया।
कहती हैं करिश्मा, 'मुझे हेल्दी खाना और फिट रहना अच्छा लगता है। इस खेल में आने के बाद मुझमें यह विश्वास आया कि आप अपनी जिंदगी में जब भी कुछ करना चाहे कर सकते हैं। इसके लिए उम्र कोई बाधा नहीं हैं। लेकिन इसके लिए आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए और जज्बा होना चाहिए। फाइटर की तरह उसे करते जाना है, बीच में छोडऩा नहीं। अगर आपने लक्ष्य तय कर लिया तो कोई हिला नहीं सकता।'
मानसिक तैयारी जरूरी
केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लड़कियों को खुद को साबित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होते हैं। भारत में तो ज्यादा ही है क्योंकि हमारे कल्चर अलग-अलग हैं। कहीं इसे सही लिया जाता है तो कहीं गलत ढंग से। पीछे से कमेंट भी कर दिए जाते है। जब प्रतियोगिता जीत लेते हैं तो साथ खेलने वाले लड़कों में भी कॉम्पलेक्स आ जाता है और वे नेगेटिव हो जाते हैं। रास्ते में चलने पर भी मस्क्यूलर बॉडी देख कर अजीब सी नजरों से देखा जाता है।
इन सब स्थितियों का सामना करने के लिए श्वेता मानसिक तैयार पर जोर देती हैं। कहती हैं, 'आपको अपनी मानसिक तैयारी करनी जरूरी है क्योंकि आपके सामने कई कठिनाइयां आने वाली होती हैं। कई लोग कई बातें बोलते हैं क्योंकि भारत में इस स्पोर्ट का कल्चर नहीं है। यह नया है। अगर आपको कोई बात परेशान करती है तो आपको मानसिक रूप से मजबूत रहना होगा जैसा मैंने किया। ट्रेनिंग भी टफ होती है।'
खुल गए बॉलीवुड के रास्ते
जून 2017 में वल्र्ड कप फिटनेस एंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर चर्चा में आईं भूमिका शर्मा का इस समय पूरा ध्यान मिस यूनिवर्स एवं मिस ओलंपिया खिताब पर है। इसके बाद उनकी नजरें बॉलीवुड पर टिकीं हैं। कहती हैं भूमिका, 'मिस ओलंपिया का खिताब जीतने के बाद ही बॉलीवुड में पैर जमाने की कोशिश करूंगी। अभी तो मेरी प्राथमिकता बॉडी बिल्डिंग ही है।'
गौरतलब है कि भूमिका शर्मा को निर्देशक शेखर शिरीन की फिल्म 'कोड-यूएल' में कमांडो की भूमिका दी गई है लेकिन वे इससे अपने वर्कआउट पर कोई प्रभाव नहीं पडऩे देंगी। बॉडी बिल्डिंग के लिए भूमिका रोजाना जिम में सात घंटे पसीना बहाती हैं। सुबह वह एक्सरसाइज करने के साथ ही 12 किमी रनिंग करती हैं। ट्रेनर सन्नी राजपूत की देखरेख में शाम को वेट एक्सरसाइज करती हैं। वह बताती है कि डाइट का विशेष ख्याल रखना पड़ता है।
पुरुषों का खेल, महिलाओं का परचम
भारत में बॉडीबिल्डिंग की ओर महिलाओं का झुकाव तेजी से बढ़ रहा है। वे अपने स्त्रीत्व को बरकरार रखते हुए अनुशासित जिंदगी का अनुसरण कर रही हैं। करुणा वाघमरे, दीपिका चौधरी, अश्विनी वास्कर, यूरोपा भैमिक, ममोता देवी, यास्मीन चौहान जैसी कई महिलाएं इस खेल में हैं। इनमें से अधिकांश न बॉडीबिल्डिंग को ही अपना करियर बनाया है। बेशक इस खेल में मेहनत और अनुशासन का सम्मिश्रण है लेकिन इन महिलाओं को जुनून है अपनी बॉडी मसल्स को मजबूत बनाने का, पुरुषों के वर्चस्व वाले इस खेल में अपना परचम लहराने का।
सुंदर दिखना है
मेरी कैटेगरी है फिटनेस फिजिक, जिसमें हमें 90 सेकंड की परफॉर्मेंस देनी होती है। जिसमें कई तरह की मार्शल आर्ट और एरोबिक्स आदि डालने पड़ते हैं। इसके लिए मेरे कोरियोग्राफर, मार्शल आर्ट ट्रेनर, स्टंट सिखाने वाले अलग हैं। मेरी कैटेगरी बॉडीबिल्डिंग की नहीं है। मैं फिजिक एथलीट हूं। मेरी कैटेगरी में सुंदर दिखना होता है। जैसे मिस इंडिया और मिस वल्र्ड में होता है। मेरी अपनी डिजाइनर होती हैं। बॉडीबिल्डिंग में मेकअप की मंजूरी नहीं होती, ज्यूलरी और सेंडल्स नहीं पहन सकते लेकिन फिजिक एथलीट में लड़के की तरह नहीं बल्कि एक खूबसूरत लड़की की तरह दिखना होता है लेकिन बॉडी वेल डेवलेप और टोंड होनी चाहिए। साथ में परफॉर्मेंस भी होती है। दो राउंड होते है एक पोजिंग राउंड और दूसरा परफॉर्मेंस राउंड। इनको मिला कर रिजल्ट मिलता है। मुझसे पहले इस कैटेगरी में भारत की किसी भी लड़की ने कोई मेडल नहीं जीता था।
मैं वर्कवाउट के साथ मार्शल आर्ट करना कार्डियो के लिए बहुत अच्छी फॉर्म है। हैवी वेट ट्रेनिंग और स्वीमिंग करती हूं। डाइट में हाई प्रोटीन और लो कार्ब, और हेल्दी फैट होता है। जंक फूड नहीं खाती। ड्रिंक्स नहीं लेती। बाहर का खाना नहीं खाती हूं।
श्वेता राठौर
फिजिक एथलीट
फेमिनिटी के साथ बॉडी बिल्डिंग
मैं बिकनी एथलीट हूं। ये काफी लीन, टोन और टाइट होते हैं। इनमें फेमिनिटी ज्यादा होती है। बॉडी की स्किन टोन व लुक्स महत्वपूर्ण है। मसल्स ज्यादा नहीं होतीं, फैट कम होता है। सभी को लगता है कि बॉडीबिल्डर्स खाना नहीं खाते लेकिन हम साफ-सुथरा खाना खाते हैं। दिन में चार-पांच बार थोड़ा-थोड़ा खाते हैं। प्रतियोगिता के समय तो बड़ी कड़ाई रहती है। चिकन, मीट, चावल, आलू हमारी डाइट में रहते ही हैं। मैं हाई प्रोटीन खाती हूं। कार्ब ठीक-ठीक लेती हूं।
मुझे चनौतियां लेना पसंद है। नए-नए लक्ष्य तय करती रहती हूं। जब मैंने अपना पोटेंशियल बॉडीबिल्डिंग में देखा तो इसमें खुद को स्थापित कर लिया। ट्रेनिंग काफी टफ रहती है। 45 मिनट कार्डियो करती हूं और 60 मिनट वेट ट्रेनिंग रहती है। दो घंटे जिम के लिए चाहिए होते हैं। सुबह पांच बजे उठती हूं। ऑफिस भी जाना होता है। पूरे दिन का खाना अपने साथ लेकर जाती हूं। बाहर का नहीं खाती। फुलटाइम जॉब है लेकिन जब कुछ तय कर लेती हूं तो कर के ही मानती हूं। बहुत डिटर्मिंड हूं।
करिश्मा शर्मा
बिकनी एथलीट
जीतना है मिस ओलंपिया
जिम ट्रेनर ने जब मुझे महिला बॉडी बिल्डिंग का एक वीडियो दिखाया तो मैं काफी रोमांचित हो गई और बॉडी बिल्डिंग करने की ठान ली। पहले-पहल तो परिजनों ने बॉडी बिल्डिंग को पुरुषों का खेल बताते हुए इसे छोडऩे के लिए कहा लेकिन मैंने मेहनत शुरू कर दी। मुझे अपनी पिस्टल तक बेचनी पड़ी। मुंबई में होने वाले फिट फैक्टर बॉडी एक्सपो से बॉडीबिल्डिंग का आगाज हुआ।
मेरा जुनून देखकर मुझे देहरादून बुला लिया गया और मैं बॉडी बिल्डिंग की ट्रेनिंग लेने लगी। मात्र तीन साल में बॉडी बिल्डिंग में मेरी पहचान बन गई है। इटली में डब्ल्यूएबीबीए (वाबा) की ओर से आयोजित वल्र्ड कप फिटनेस एंड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है और अब मेरा लक्ष्य भारत को पहली बार मिस ओलंपिया में पदक जिताना है।
भूमिका शर्मा
बॉडीबिल्डर
और लड़कियां भी आएं इस खेल में
मैं पहले बहुत पतली थी। पति के सहयोग मैंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की। मैं गांव में रहती थी। प्रतियोगिता के समय इंफाल जाकर प्रैक्टिस की। मणिपुर सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। सुबह में दो घंटे और शाम को 3 घंटे जिम में बिताती हूं। मैं चाहती हूं कि और लड़कियां भी इस प्रोफेशन में आएं। 55 किलो वेट कैटिगरी की बॉडीबिल्डर हूं। 2016 की वल्र्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में चौथी पोजिशन रही थी मेरी।
सरिता देवी
बॉडीबिल्डर
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