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हर खाना एक कहानी कहता है - शेफ अजय चोपड़ा 

यशा माथुर 

लंदन से इंटरनेशनल रेस्टोरेंट ट्रेंड्स जानकर भारत आए सेलेब्रिटी शेफ अजय चोपड़ा नई सामग्री और नए फ्लेवर्स के साथ लगातार प्रयोग करते रहते हैं। इन दिनों वे उत्तर भारत के उन जायकों को ढूंढ़ रहे हैं जिनका चलन कम होता जा रहा है। सरलता से घर में बन सकने वाले इन स्वादिष्ट खानों को लेकर वे छोटे पर्दे पर भी नजर आ रहे हैं। हर डिश के साथ जुड़ी कहानी सुनाते हैं वे और पैशन व प्यार के साथ खाना बनाने की सलाह देते हैंं वे ...

कोई तो है कहानी
हमारे खाने की खूबसूरती यह है कि हर खाना कहीं न हीं किसी कहानी से जुड़ा है। जैसे कोई रेसिपी मां की होगी, तो कोई विशेष अवसर पर बनती है या उसका कोई खास महत्व होगा। जैसे एक कश्मीरी बिस्किट हमने बनाया जिसका नाम है उसका नाम है रोथ, वो एक कश्मीरी पर्व पुनद्युन पर बनाया जाता है, या नए घर में प्रवेश पर बनाया जाता है। हम जो भी रेसिपीज इस कार्यक्रम में लाए हैं उनके साथ कोई कहानी जरूर है। जैसे पंजाबी खाने को सब जानते हैं लेकिन पटियाला के रॉयल फूड को शायद कम लोग जानते हैं। पटियाला के राजा खाने के बड़े शौकीन थे। वे लंदन और अमरीका भी जाते तो अपने पूरे ग्रुप के साथ, जिसमें चार या पांच शेफ होते। जहां भी जाते वहीं उनका 11-12 कोर्स का खाना बनता। उनके पास उनकी अपनी क्रॉकरी भी होती थी। ऐसी बातें खाने को इंट्रेस्टिंग बनाती है और खाने को एक सूत्र में बांधती है। हमारे प्रदेशों का खाना बहुत अलग है जो यहां के उत्पादन और तापमान से प्रभावित है। हर जगह खाना किस तरह से, कब और क्यों खाया जाता है, यह महत्वपूर्ण भाग हो जाता है। राजस्थान में लोग मिर्च ज्यादा खाते हैं उसका कारण है कि गर्मी में शरीर के पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए ज्यादा प्यास लगे और वे ज्यादा पानी पी सकें। इसी तरह से साउथ भारत में नारियल ज्यादा होता है क्योंकि वहां इसका उत्पादन बहुत होता है।

गुमनाम हैं डिशेज
लिविंग फूड्स चैनल पर आ रहे कार्यक्रम नॉदर्न फ्लेवर्स सीजन टू में हमने अविभाजित पंजाब के खाने पर एक प्रोग्राम किया। विभाजन से पहले पंजाब बहुत बड़ा प्रांत था। वहां बहुत सी चीजें बनती थीं। जिनमें से कुछ चीजें पाकिस्तान में ही रह गईं और कुछ भारत में आ गईं। ऐसी ही एक डिश है जिसका नाम है टोशा। जो आटे से बनती है। आटे के लंबे गुलाबजामुन जैसे बनाते हैं और उन्हें तल कर चाशनी में डालते हैं। बहुत ही घरेलू और स्वादिष्ट चीज है। मुझे लगता है कि पहले बहुत घरों में बनती थी लेकिन अब वाघा बॉर्डर के पास एक दो दुकानों में दिख जाती है। वहीं लोगों के इस बारे में पता है अगर आप कहीं और किसी से पूछेंगे तो वह इसके बारे में नहीं बता पाएगा। वह टोशा को डोसा समझ लेगा। ऐसे खाने हम कार्यक्रम में लेकर आए हैं। झांसी के आसपास बुंदेलखंड में बेसन के आलू बनते हैं। उसमें आलू है ही नहीं लेकिन आलू की शेप में बेसन के गट्टे जैसे बनाकर उसे हींग और जीरे में फ्राई किया जाता है जो बहुत स्वादिष्ट होता है। बहुत सी डिशेज ऐसी हैं हमारे यहां जिनके बारे में बहुत से लोग बिल्कुल नहीं जानते हैं।

रैगिंग बना टर्निंग प्वाइंट
नौ साल की उम्र में मैं मॉम के साथ किचन में जाता था। उनके लिए चाय बनाना जैसी छोटी-छोटी चीजें करता था। वहीं से रसोई से मेरा प्यार डेवलेप हो गया। जब चाइनीज वैन से टेकअवे लेता था तो बड़ी दिलचस्पी से उन्हें देखता कि वे कैसे चॉपिंग करते हैंं, कितनी तेजी से स्लाइसिंग करते हैं। मेरी आंखें हमेशा उन्हें बड़े कौतुहल से देखा करती थीं। फिर घर आकर में उसकी प्रैक्टिस करता। देखते ही देखते मेरी रुचि बढ़ती गई। पापा-मम्मी चाहते थे कि मैं डॉक्टर या इंजीनियर बनूं। लेकिन वह हो नहीं पाया। तब मैंने होटल मैनेजमेंट करने के लिए कहा। इस कोर्स की भी चार फील्ड्स होती हैं। लेकिन पहले साल में जब हम किचन में गए तो हमारे सीनियर्स ने हमें रैगिंग के तौर पर तीन सौ चिकन छीलने के लिए दिए। हम 80-90 बच्चों ने यह काम शुरू किया और आधे घंटे बाद केवल दो या तीन लोग बचे थे जिनमें से एक मैं भी था। मैं जो भी कर रहा था उसे एंजॉय कर रहा था। वह दिन मेरा टर्निंग प्वांइट था जब मैंने खुद से कहा कि मैं शेफ ही बनूंगा।

मैं हूं कॉकटेल पंजाबी
मैं कॉकटेल पंजाबी हूं। मेरे पैरेंट्स पाकिस्तानी पंजाब से आए हैं। मैं लखनऊ में पैदा हुआ तो मुझमें उत्तर प्रदेश का भी प्रभाव है। हम राजस्थान में आठ साल रहे और हरियाणा में आठ साल रहे। गोआ में तीन साल पढ़ाई की। जहां-जहां रहे वहां के खानों और बातों का प्रभाव रहा। जहां भी रहा कुछ-कुछ सीखता रहा। एक शेफ के रूप में मेरा खाना किसी विशेष प्रदेश से प्रभावित नहीं है। मैं दक्षिण भारतीय खाना बनाना भी बहुत पसंद करता हूं। मैं कोई बैरियर नहीं रखता। यहां तक कि पश्चिमी खाने बनाता हूं। मैं एक शेफ हूं और खाने से प्रेम करता हूं।

बारह मसाले और हजार डिशेज
जब हम उत्तर भारत के खाने की बात करते हैं तो मेरे हिसाब से पांच या छह मसाले ऐसे हैं जिनसे सारा खाना बनता है लेकिन खड़े मसालों का प्रयोग खाने में बदलाव ला देता है। जैसे किसी डिश में बड़ी इलायची का फ्लेवर ज्यादा चाहिए होता है, कुछ में लौंग का तो कुछ में हींग का। हम बारह मसालों से हजार डिशेज बना सकते हैं। यही हमारे खाने की खूबसूरती है। आज मेरा फेवरेट मसाला हींग है, जबकि कभी हींग को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। छोटी इलायची डालना भी मुझे अच्छा लगता है।



शॉर्टकट का है जमाना
मैं चाहता हूं कि लोग पुरानी डिशेज को रिवाइव करें लेकिन जो भी पुरानी डिशेज हैं उनको बनाने में समय ज्यादा लगता है और आजकल लोगों के पास समय की कमी है इसलिए उन्होंने शॉर्टकट अपना लिए हैं। निहारी को पकने में आठ घंटे लगते हैं तो लगते हैं। आज फ्रेंच हमें स्लो कुकिंग सिखाते हैं लेकिन हमारे यहां तो स्लो कुकिंग सदियों से है। लेकिन हमने कभी इसका प्रचार नहीं किया, इसका बाजार नहीं बनाया। हमारे खाने को जो अहमियत मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली जिसकी जिम्मेदारी हमारी ही है।

रिसर्च और ट्रैवल जरूरी
मेरी रिसर्च टीम है। हम शो से तीन महीने पहले ही ट्रैवल करते हैं। लोगों से बात करते हैं और यह जानते हैं कि कौनसी ऐसी डिशेज हैं जिन्हें घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। नॉदर्न फ्लेवर्स के इस दूसरे सीजन के लिए टीम ने इस बेस पर रिसर्च की कि जो चीजें थोड़ी भूलती जा रही हैं उनको सामने लाएं। जैसे जब भी जम्मू व कश्मीर के खाने की बात होती है तो सिर्फ कश्मीरी व्यंजनों का ही जिक्र होता है जबकि डोगरा क्यूजिन भी है जिसमें कई डिशेज बनती है जिनमें से एक है अंबल। कद्दू की बनती है यह डिश। कद्दू उत्तर भारत में कई तरह से बनता है लेकिन हम अंबल की रेसिपी को डोगरा डिश की तरह से बता सकते हैं।


शेफ की रेसिपीज


चोक वांगुन

तैयारी करने का समय - 10 मिनट
पकने का समय 25 मिनट



सामग्री

. 2 लंबे काले बैंगन
. 2 छोटे चम्मच सरसों का तेल
. 3-4 लोंग
. चौथाई छोटा चम्मच हींग, दो चम्मच पानी में घुली हुई
. 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर
. 1 छोटा चम्मच कश्मीरी वर मसाला
. 1 कप इमली का घोल
. 1 छोटा चम्मच सौंठ पाउडर
. 2 हरी मिर्च
. पानी जरूरत के अनुसार
. नमक स्वादानुसार
. तेल जरूरत के अनुसार

सजाने के लिए

ताजा हरे धनिया की पत्तियां
हरी मिर्च

विधि

. बैंगन को धोकर साफ कर लें और चार लंबे टुकड़े कर बीच में से आधे कर लें।
. एक गहरे फ्राइंग पैन में तेल गर्म कर के बैंगन के टुकड़ों को भूरा होने तक तलें। और अलग करके उन पर नमक छिड़क दें।
. एक अलग फ्राइंग पैन में एक चम्मच सरसों का तेल गर्म कर लें। इसमें तीन-चार लौंग, 1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर, नमक और पानी में घुली हींग डाल दें।
. थोड़ा सा पानी डालें। अब एक छोटा चम्मच कश्मीरी वर मसाला डालें और पानी में घुलने तक हिलाएं।
. तले हुए बैंगन इस ग्रेवी में डालें औश्र हिलाएं।
. चोक वांगुन को ताजे हरे धनिए की पत्तियों और कटी हुई हरी मिर्च से सजाकर गरम परोसें।

अरबी की कढ़ी

तैयारी का समय - 20 मिनट
पकने का समय - 30 मिनट


सामग्री
. आधा किलो अरबी
. 2 हरे प्याज
. 4 ताजी लाल मिर्च
. 2 छोटे चम्मच लहसुन
. 2 छोटे चम्मच चावल का आटा
. 400 मिली खट्टा दही
. 1 छोटा चम्मच हरा धनिया कटा हुआ
. 4 छोटे चम्मच सरसों का तेल, अरबी तलने के लिए
. 2 छोटे चम्मच सरसों का तेल, कढ़ी बनाने के लिए
. नमक स्वादानुसार

सजाने के लिए
ताजी लाल मिर्च

विधि
. दो हरे प्याज काट लें।
. कटे हुए हरे प्याज, तीन लाल मिर्च, 2 छोटे चम्मच बारीक कटे हुए लहसुन का पेस्ट बना लें।
. एक बाउल में आध किलो उबली, छिली अरबी लें और उसमें स्वाद के अनुसार नमक डाल लें।
. एक फ्रांइग पैन में दो चम्मच सरसों का तेल डाल कर अरबी को तब तक तल लें जब तक यह बाहर से क्रिस्प न हो जाए।
. दूसरे फ्राइंग पैन में दो चम्मच सरसों के तेल में हरे प्याज का पेस्ट भून लें।
. एक कटोरे में दोचम्मच चावल का आटा और 400 मिली खट्टा दही लेकर अच्छी तरह से फेंट लें।
. हरे प्याज का पेस्ट में दही और चाल के आटे का मिश्रण डालें और अच्छी तरह से हिलाते हुए पकाएं।
. अब नमक, हल्दी, मिर्च, धनिया पाउडर मिला कर अच्छी तरह से मिलाएं।
. भुनी हुई अरबी डाल कर थोड़ा और पकाएं।

गरम अरबी की कढ़ी को कटी हुई हरी मिर्च से सजा कर चावल के साथ परोसें।

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